Essay
Padhega India Badhega India (पढ़ेगा इंडिया बढ़ेगा इंडिया )
प्रस्तावना - शिक्षा जीवन का वह हिस्सा है जो छात्रों को मूल बातें स्पष्ट करता है जो भविष्य में उनकी मदद करता है। यह वह उम्र भी है जो उन्हें नैतिकता और नैतिक मूल्यों को समझने में मदद करती है क्योंकि यह वह उम्र है जिसे हमने लियरिंग और ग्रोइंग कहा है या मैं कह सकता हूं कि मज़े के माध्यम से सीखें।
विश्व
के आदि से ज्यादा समस्याओं की जड़ अशिक्षा है। कहा जाता है कि शिक्षा समाज सभ्य समाज की स्थापना कर सकत है। साक्षात्कार के इसी महत्त्व को समझते हुए यूनेस्को ने 1966 में प्रति
वर्ष 8 सितंबर को विश्व साक्षरता दिवस मनाने का निर्णय लिया है। शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना इसका मुख्य उद्देश्य था।
अपनी बेटियों को कंगन नहीं कलम दीजिये, आखिर पढ़ें ये इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया।
भारत
स्काउट
एंड गाइड एक शैक्षिक
आंदोलन
है । नवयुवक
का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक
और आध्यात्मिक
विकास
कर उन्हें
उत्तरदायी
नागरिक
बनाना
ताकि
वे स्थानीय, राष्ट्रीय
और अंतरराष्ट्रीय
समुदाय
के लिए उपयोगी
सिद्ध
हो सके।
" बच्चा
पढ़ेगा तो
देश बढ़ेगा।
" अगर इस स्लोगन
को कामयाब
बनाना
है तो निश्चित
रूप से देश और माता
पिता
दोनों
को ही सक्रिय
होना
पड़ेगा।
डॉक्टर
हिटलर
जी ने
कहा है। कि जो माता
पिता
अपने
बच्चों
को नहीं
पढ़ाते
हैं उन्हें
बालपन
से ही मजदूरी
के लिए झोंक
देते
हैं।
अंत उन पर आपराधिक
मामला
दर्ज
किए जाने
चाहिए।
बच्चों
को पढ़ाना
माता
पिता
की नैतिक
जिम्मेदारी
होनी
चाहिये
और बच्चो
के लिए उसके
निकट
शिक्षक की व्यवस्था
करना सरकार
का काम होना
चाहिए।
ओशो ने कहा है कि 'जहां
अज्ञान है, वहीं
अहंकार हो सकता है और जहां अहंकार
है, वहीं
अज्ञान हो सकता है। अज्ञान
ही पाप है। शेष सारे पाप तो उसकी छाया ही है।' अज्ञान
को केवल शिक्षा से ही मिटाया जा सकता है। आज भी महिलाएं
बड़ी संख्या
में अशिक्षित
हैं, जो
शिक्षित भी हैं, उनमें से ज्यादातर महिलाएं पूरी शिक्षित
नहीं हैं। जो सुशिक्षित
हैं, वे
पुरुष प्रधान
समाज की सोच से प्रभावित हैं। इस वजह से वे स्वयं
से कमजोर
महिलाओं को दबाती
रहती हैं और इसके साथ ही अंधविश्वासों और कुप्रथाओं
को मानने
के लिए उन्हें बाध्य करती रहती है। शिक्षा ही एकमात्र
ऐसा साधन है, जो
अविकसित और अशिक्षित
स्त्री और पुरुष
दोनों को ही अंधविश्वासी
से आत्मविश्वासी
बनाती है। आज जो समाज, जो
परिवार और जो राष्ट्र शिक्षित हैं. वहां न तो कोई अंधविश्वास
है और न ही रूढिगत प्रथा ही हैं। वहां तो केवल उजाला ही उजाला है। बेशक शिक्षा
से जीवन में उजाले
का प्रवेश
होता है, जो व्यक्ति
को समृद्ध, स्वस्थ, सुन्दर
और बुद्धिमान
बनाने के साथ-साथ यशस्वी भी बनाता
है। आप रूढ़ियों को तोड़ें, आप उनको अच्छी सीख दें, शिक्षित
करें तो उनसे कहें कि वह दूसरों को भी इसी तरह शिक्षित करें। सीखने
और सिखाने
की जब एक कड़ी बन जाएगी
तो फिर विकास होता चला जाएगा।
फिर वह रूकेगा नहीं।
शिक्षा
का महत्त्व
- शिक्षा
हमें
ज्ञान
प्रदान
कराती
है
स्कूलों
में हम
सभी औपचारिक
शिक्षा प्राप्त
करते हैं।
हम स्कूलों में
विभिन्न विषयों, नैतिक
मूल्यों और
अन्य गतिविधियों
के बारे में
शिक्षा लेते
हैं और
उन्हें सिखते
है। अध्ययन
करने से
हमें बहुत
से क्षेत्रों
के बारे में
जानकारी अर्थात
ज्ञान की
प्राप्ति होती
है और इस
प्रकार हमारे
ज्ञान में
भी वृद्धि होती
है। स्कूली
शिक्षा प्राप्त
करने के
बाद हमारे
अंदर वास्तविक
चरण विकसित
होता है।
पढ़ना और
लिखना हमारे
अंदर के
ज्ञान को
बढ़ाने के
तरीके हैं।
- गलत
धारणाओं को
मिटाने
में
मदद
करता
है
शिक्षा
हमारे समाज
में फैली
कुरीतियों और
अंधविश्वासों को
मिटाने का
एक साधन है।
यह हमारे सोचने
के तरीके को
और विस्तृत करता
है। बहुत
से लोग काम
पढ़े-लिखे
और अनपढ़ होते
है और वो
झूठी मान्यताओं
और अफवाहों पर
यकीन बहुत
जल्दी से
कर लेते हैं।
वो आखें बंद
करके हर
चीजों पर
विश्वास कर
लेते हैं।
शिक्षा हमें
इस प्रकार के
झूठे विश्वासों
को दूर करने
में हमारी
मदद करती
है।
- सामाजिक
कुरीतियों को
दूर
करने
में
शिक्षा
सहायक
होती
है
हमारा
समाज निरक्षरता, गरीबी, बेरोजगारी, बाल
श्रम, बाल-विवाह
आदि जैसे
कई कुरीतियों
से भरा पड़ा
है। हमारा
समाज या
राष्ट्र केवल
शिक्षित होकर
ही इन कुरीतियों
से छुटकारा पा
सकता है।
शिक्षित लोगों
को दूसरों को
सिखाने, उन्हें
शिक्षा के
महत्त्व, और
उन्हें स्कूल
जाने के
महत्त्व को
समझना और
उन्हें शिक्षा
के लिए प्रेरित
करना चाहिए।
शिक्षा ही
इन सामाजिक बुराइयों
को कम कर
सकती है
और साथ ही
रोजगार के
संभावनाओं को
भी बढ़ा सकती
है, जिससे
गरीबी कम
हो सकती है।
- शिक्षा
हमें
विकास
की
ओर
लेकर
जाती
है
हमारे
समाज में
शिक्षित और
पढ़े-लिखे
लोगों को
अच्छा काम
या नौकरी मिलती
है और इस
तरह उनका
पेशेवर जीवन
और बेहतर होता
है। अच्छे
अकादमिक रिकॉर्ड
और ज्ञान वाले
किसी भी
व्यक्ति को
उनके जीवन
में नौकरी
के अच्छे अवसर
मिलते हैं।
यह हमें जीवन
में अच्छे
कमाई करने
की क्षमता प्रदान
करती है। शिक्षा
हमें कौशलता
प्रदान करती
है, और
हमें कौशल
निपुण बनाती
है। एक
अच्छी नौकरी
पाने के
लिए अच्छा
ज्ञान और
कौशल होना
बहुत ही
जरूरी है।
लिखने, पढ़ने, सीखने
और कौशल क्षमता
रखने वाले
लोगों को
नौकरी करने
से बहुत लाभ
होता है।
इस प्रकार शिक्षा
हमारे देश
में मौजूद
बेरोजगारी की
समस्याओं पर
काबू पाने
में मदद
करती है।
- हमें
अच्छा
नागरिक
बनाता
है
ज्ञान
एक मूल्यवान
संपत्ति है, और
यह हमें शिक्षित
बनाती है।
शिक्षा हमारे
अंदर की
जागरूकता को
बढ़ाती है, और
यह हमें गलत
रास्ते पर
भी जाने से
रोकती है।
शिक्षा बुद्धि, अच्छे
नैतिक मूल्यों
और आदतों को
विकसित करती
है। यह
हमें समाज
और राष्ट्र में
एक बेहतर स्थिति
प्रदान करवाता
है। पढ़े-लिखे
लोगों की
सभी प्रशंसा
करते हैं।
शिक्षा हमें
समाज का
जिम्मेदार नागरिक
बनाकर राष्ट्र
के नियमों, विनियमों
और कानून को
समझने और
उनका पालन
करने में
हमारी मदद
करती है।
यह हमारी समृद्ध
संस्कृति और
परंपरा को
सम्मान देने
के साथ-साथ
उन्हें समझने
और उनके बारे
में हमें
अवगत भी
कराती है।
निष्कर्ष - कोई भी देश हो, सफलता से जीने के लिए साक्षरता बेहद जरूरी है। गरीबी को मिटाना, बाल मृत्यु दर को कम करना, जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना, लैंगिक समानता को प्राप्त करना सभी के लिए साक्षरता को बढ़ावा देना जरूरी है क्योंकि साक्षरता का मतलब केवल पढ़ना, लिखना या शिक्षित होनाही नहीं है। यह लोगों को अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता लाकर सामाजिक विकास का आधार बन सकती है।
एक कलम मुझे भी दे दो बाबा,
बहुत कुछ सीखना चाहती हूं।
मैं उभरते भारत की उन्नति में,कुछ भागीदारी दिखाना चाहती हूं।
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Essay 2
प्रस्तावना:
"पढ़ेगा इंडिया, बढ़ेगा इंडिया" एक महत्वपूर्ण नारा है जो हमारे देश, भारत, के शिक्षा प्रणाली के महत्व को दर्शाता है। यह नारा हमें यह सिखाता है कि शिक्षा केवल ज्ञान की प्राप्ति के लिए ही नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के साथ हमारे राष्ट्र के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस निबंध में, हम "पढ़ेगा इंडिया, बढ़ेगा इंडिया" के महत्व को विशेष रूप से विचार करेंगे।
शिक्षा का महत्व:
शिक्षा एक ऐसा उपकरण है जो हमें न केवल ज्ञान का प्राप्त करने में मदद करता है, बल्कि यह हमारी सोचने का तरीका बदलता है और हमें समाज में अधिक सही और समझदार नागरिक बनाता है। शिक्षा के माध्यम से हम विज्ञान, तकनीक, और कला में आगे बढ़ सकते हैं, जिससे न केवल अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि अपने देश का भी विकास कर सकते हैं।
पढ़ेगा इंडिया, बढ़ेगा इंडिया:
"पढ़ेगा इंडिया, बढ़ेगा इंडिया" का मतलब है कि जब हमारे लोग शिक्षा प्राप्त करते हैं, तो हमारा देश भी विकसित होता है। शिक्षित लोग समाज में अधिक जागरूक होते हैं, उनके पास अधिक संवेदनशीलता होती है, और वे समस्याओं के समाधान के लिए सक्रिय रूप से काम करते हैं।
शिक्षित लोग न केवल अपने जीवन को बेहतर बनाते हैं, बल्कि वे अपने देश के लिए भी कुछ करते हैं। वे नई तकनीकों को विकसित करते हैं, सामाजिक सुधारों में भागीदारी करते हैं, और अपने देश के लिए समृद्धि की दिशा में मदद करते हैं।
शिक्षा के लिए समर्पण:
"पढ़ेगा इंडिया, बढ़ेगा इंडिया" का संदेश है कि हमें शिक्षा के प्रति समर्पित रहना चाहिए। हमें न केवल अपने बच्चों को शिक्षा प्रदान करना चाहिए, बल्कि हमें खुद भी शिक्षा का साक्षर रहना चाहिए। शिक्षा हमारे देश के विकास की कुंजी है और हमें इसे मजबूती से समर्थन देना चाहिए।
निष्कर्ष:
"पढ़ेगा इंडिया, बढ़ेगा इंडिया" एक महत्वपूर्ण संदेश है जो हमें यह याद दिलाता है कि शिक्षा हमारे देश के विकास के लिए क्रियाशील ढंग से योगदान कर सकती है। हमें शिक्षा के प्रति समर्पित रहना चाहिए और अपने देश को एक बेहतर और समृद्ध भविष्य की ओर अग्रसर करने के लिए अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
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