Orderly Movement, Commands & Drill
( शालीन- चाल, कमांड और ड्रिल )
Introduction
क्या आपने 26 जनवरी गणतंत्र दिवस का पर्व देखा है? हम में से अधिकांश ने इसे टेलीविजन पर देखा है। आप में से कुछ लोगों को नई दिल्ली के राजपथ पर इसे लाइव देखने का सौभाग्य मिला होगा।
सशस्त्र बलों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और सैन्य बैंड की मार्चिंग कंटीट्यूशन; रक्षा उपकरणों का प्रदर्शन और राज्यों की रंगीन झांकी परेड की पहचान है।
व्यक्ति की परख उसके पहनावे, उठने -बैठने, चलने फिरने तथा बोलचाल से आसानी से हो जाता है। जिन लोगों की शिक्षा अनुशासन पूर्ण वातावरण में होता है उनका चाल-चलन पहनावा तथा व्यवहार शालीन होता है । स्काउट/गाइड संगठन एक अनुशासित तथा निश्चित गणवेशधारी संगठन है । स्काउट गाइड के ठीक व पूर्ण पोशाक में होना ,
Relevant Knowledge.प्रासंगिक ज्ञान।
ड्रिल शब्द लड़ाई की पुरानी परंपरा से आता है, जिसमें सैनिक लड़ते हैं, दुश्मन का सामना करने के लिए एक निश्चित संरचना में एक साथ खड़े होते हैं। ड्रिल पुनरावृत्ति के माध्यम से कुछ कार्यों को याद करने और प्रदर्शन करने की प्रक्रिया है जब तक कि कार्रवाई इसे करने वाले कर्मियों के लिए सहज न हो। ड्रिल एक व्यक्ति या समूह द्वारा की जाने वाली शारीरिक गतिविधि का एक रूप है, जो अनुशासन और स्मार्टनेस को आत्मसात करता है।
पूर्णता के लिए इसका अभ्यास कई बार किया जाता है। यह गतिविधि मुख्य रूप से अनुशासन, टीम वर्क, अधिकार और एकरूपता प्रदर्शित करने के लिए सेना, पुलिस, अग्निशामक, कैडेट, आदि द्वारा की जाती है। एक टीम में कोई व्यक्ति नहीं है; हर कोई एक ही समय में और बिल्कुल उसी तरह से आंदोलन करता है। जटिल क्रियाओं को सरल लोगों में विभाजित किया जाता है जिन्हें छोटे समूहों में
Session–1
आदेश (Commands)
स्काउट गाइड शिक्षा स्काउट / गाइड की नेतृत्व शक्ति को निखारने में सहायक होती है । नेतृत्व शक्ति के विकास में ' आदेश देने की कला ' का अपना अलग ही योगदान रहता है । अतः स्काउट गाइड को आदेश देने में दक्ष होना चाहिए । प्रत्येक आदेश के तीन प्रकार होते है :-
1. आदेशात्मक भाग (Cautionary Part)
2. विराम (Pause)
3. निष्पादित भाग (ExecutivePart)
आदेशात्मक भाग में आवाज को कुछ लम्बी खींच कर क्रियाके लिए आगाह किया जाता है । एक क्षण रुककर निष्पादित भाग को तेजी स बाला जाता है जिस पर क्रिया शुरू कर दी जाती है । उदाहरण के लिये पीछे एए - मुड़ तेएएज - चल । पीछे की आवाज में यदि एक सेकेण्ड समय लगता है तो पहले भाग में तीन सेकेण्ड अर्थात् तिगुना लगेगा।
प्रमुख आदेश
◆सावधान
◆ पीछे मुड़
◆ खड़े हो
◆ दाहिने से गिनती -कर
◆ विश् - राम
◆ कदम - ताल
◆ दौड़ - चल
◆ आराम - से तेज - चल
◆ दाहिने -चल/बायें -देख
◆ दाहिने मुड़ दल कम्पनी - थम
◆ तीन कदम बायें चल
◆ दाहिने -चल तीन कदम
◆ सैल्यूट
◆. दाहिने मुड
◆ बायें मुड़
◆ बैठ - जा
◆ दो कदम आगे - चल
◆ कतार -बन
◆ दो कदम पीछे -चल
◆ सीध - लो
◆ जैसे - थे
◆ ध्वज लीडर चल - दो
◆ निकट लाइन -चल
◆ सामने -देख
◆ बायें - धूम
◆ खुली लाइन - चल
◆ दल / कम्पनी - थम
◆ स्व - थान
◆ विसर्र - जन
◆ कदम - बदल
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Drill ड्रिल Basic Drill and Defensive Techniquesक्या आप जानते हैं कि गणतंत्र दिवस परेड की तैयारियां महीनों पहले से ही शुरू हो जाती हैं। प्रत्येक टुकड़ी की आवाजाही का पूर्वाभ्यास और समय किया जाता है और परेड में भाग लेने वाले सैनिक पूर्णता प्राप्त करने के लिएअपने ड्रिल आंदोलनों का अथक अभ्यास करते हैं।
ड्रिल क्या है?
ड्रिल का उद्देश्य।
1. यह टीम को किसी स्थिति या आपात स्थिति में जल्दी और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया करने की अनुमति देता है।2. यह एक व्यक्ति या समूह को मानक प्रक्रियाओं से परिचित होने और एक उपकरण या हथियार को प्रभावी ढंग से संचालित करने में मदद करता है।3. यह विभिन्न गतिविधियों को करने में आत्मविश्वास और पूर्णता विकसित करने में मदद करता है।
आदेश और कवायद (Commands & Drill)
आदेश नायक द्वारा दिया जाता है जबकि आदेश की क्रिया स्काउट / गाइड द्वारा की जाती है। इसी क्रिया को ड्रिल या कवायद के नाम से जाना जाता है। कुछ प्रमुख कमांड व ड्रिल का सम्पूर्ण जानकारी यहाँ दी जा रहा है।
★ साव - धान्-
इस ड्रिल में विश्राम की अवस्था से बायें पैर को दाहिने पैर के पास लाकर पीछे एड़ी मिलाकर ,पंजे खुले , पैरों में 45 ° का कोण बना हो। हाथ सीधे ,नीचे की ओर तने, मुट्ठी बंधी ,अंगूठे का रुख नीचे की ओर रहे। पेट तना ,सीना उठा ,कन्धे तनिक पीछे की ओर तथा नजर 100 मीटर आगे रहे । इस अवस्था को सावधान कहा जाता है, इस स्तिथि में अधिक देर तक खड़े रहना संभव नहीं होता।
★ विश् - राम :-
★ बैठ - जा :-
इस आदेश पर तनिक आगे झुकते हुए तथा भूमि से एक साथ दोनों पैर उठा कर रास्ते में पैरो में कैंची बनाकर पालथी मार कर बैठें । हाथ सीधे तने , मुट्ठी बंधी घुटनो के ऊपर रखें। धड़ सीधा रहे ।
★ आराम से :-
बैठी स्थिति में शरीर को टीला छोड़ दें तथा हाथ ढीले कर दें।
★ खड़े -हो / उठ -जा :-
इस आदेश पर तनिक आगे की ओर झुककर दोनों पैरों से एक साथ उछाल लेकर विश्राम अवस्था में खड़ा होना चाहिए।
★ दौड़ - चल-
इस आदेश में दोनों हाथों की कुहनी मोड़कर मुट्ठी बंधे हाथ सीने के सामने लाकर बायें पैर के पंजे आगे रखें। इसी प्रकार दाहिने पैर को भी। चार की गिनती में समय मिलाने के लिये आदेश दें । थम का आदेश भी चार की गिनती पर होगा।
★ तीन / कदम दाहिने / बायें - चल-
जितने कदम दाहिने बायें चलने का आदेश हो - बायें चलने के लिये बायें पैर से शुरू कर दाहिने पैर को अन्त में मिला दें । इसी प्रकार दाहिने चलने पर बायें पैर को अन्त में मिलायें।
★ आगे / पीछे - चल :-
की स्थिति में बायां पैर ही पहले आगे या पीछे निकलेगा।
★ दाहिने /बायें से गिनती - कर :-
अधिकाशंतः दाहिने से गिनती का आदेश दिया जाता है । पहला व्यक्ति गर्दन दाहिने मोड़कर ' एक ' की गिनती बोलेगातथा आगे के सदस्य क्रमशः दो - तीन - चार - आदि संख्या बोलकर गर्दन दाहिने मोड़कर अपने से आगे को संकेत करता जायेगा । अन्तिम सदस्य गिनती करेगा किन्तु गर्दन दाहिने नहीं मोड़ेगा । यही क्रम बायें से गिनती पर अपनाया जायेगा शेष आदेशों में भी स्थिति के अनुसार क्रिया होगी।
आत्मरक्षा क्या है? यह क्यों आवश्यक है?
हमारे समाज में हिंसा और अपराध है। हर कोई असुरक्षित महसूस करता है। आत्मरक्षा हमें अपराधियों और असामाजिक तत्वों के कृत्यों से खुद को और दूसरों को बचाने में सक्षम बनाती है। आत्मरक्षा तकनीक मार्शल आर्ट के रूप हैं, जो हथियारों या आग्नेयास्त्रों का उपयोग नहीं करते हैं। इसे 'निहत्थे लड़ाई' के नाम से भी जाना जाता है। निहत्थे लड़ाई के कई रूप हैं जैसे; जूडो, कराटे, कुंग-फू, ताइक्वांडो आदि। इस यूनिट के माध्यम से, आप बुनियादी ड्रिल आंदोलनों और आत्मरक्षा तकनीकों के बारे में जानेंगे।
मार्च-पास्ट (March Past): -
मार्च पास्ट माचिंग ड्रिल का सबसे महत्वपूर्ण भाग है अथवा कहा जाय कि सारी ड्रिल का अन्तिम परिणाम है। मार्च पास्ट से अनुशासन व चुस्ती - फुर्ती की परख होती है। सामान्यतया माचिंग तीन - तीन की पंक्तियों में की जाती है। किन्तु बड़े समारोहों में जहां संख्या अधिक होती है चार - छः - आठ आदि की पंक्तियों में भी किया जाता है।
तीन पंक्तियों के मार्च - पास्ट में लीडर दल से तीन कदम आगे होगा । आगे के तीनों दर्शक फासला बनाये रखने और सीध में दल को ले जाने के लिये जिम्मेदार रहते हैं। उनमें भी सबसे अधिक जिम्मेदारी दाहिने दर्शक की रहती है। इसीलिये वह ' दाहिने - देख के आदेश पर सामने ही देखता है । मार्च पास्ट में हाथों का बराबर ऊँचाई पर चलाना, पैर को एक साथ निकालना, दाहिने-बायें से सीधा तथा बराबर फासला रखना अति आवश्यक होता है। जो दल / कंपनी उक्त बातों में दक्ष हो उसी का मार्चिंग सर्वोत्तम कहलाता है।
तीन पंक्तियों के मार्च - पास्ट में लीडर दल से तीन कदम आगे होगा । आगे के तीनों दर्शक फासला बनाये रखने और सीध में दल को ले जाने के लिये जिम्मेदार रहते हैं। उनमें भी सबसे अधिक जिम्मेदारी दाहिने दर्शक की रहती है। इसीलिये वह ' दाहिने - देख के आदेश पर सामने ही देखता है । मार्च पास्ट में हाथों का बराबर ऊँचाई पर चलाना, पैर को एक साथ निकालना, दाहिने-बायें से सीधा तथा बराबर फासला रखना अति आवश्यक होता है। जो दल / कंपनी उक्त बातों में दक्ष हो उसी का मार्चिंग सर्वोत्तम कहलाता है।

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